असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) लिस्ट जारी होने का मामला अब संसद में पहुंच गया है. मंगलवार को राज्यसभा में कार्रवाई के दौरान इस मुद्दे पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बयान के बाद सदन को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया.
सोमवार को असम में एनआरसी की दूसरी लिस्ट जारी होने के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संसद में लगातार संघर्ष छिड़ गया है. मंगलवार को इस मुद्दे पर बोलते हुए अमित शाह ने कहा, ‘विपक्षी नेताओं को मैंने ध्यान से सुना, मैं पूरी बात सुन रहा था कि किसी ने ये नहीं बताया कि आखिर एनआरसी क्यों आया. इसके लिए राज्य में बड़ा आंदोलन किया गया. सैकड़ों की संख्या में छात्र शहीद हुए.’
राज्यसभा में अमित शाह ने कहा, ‘असम में इसको लेकर बड़ा आंदोलन हुआ, कई लोगों ने अपनी जान गंवाई. जिसके बाद 14 अगस्त, 1985 को राजीव गांधी ने ‘अगस्त अकॉर्ड’ समझौता किया. अगस्त अकॉर्ड की ही आत्मा है एनआरसी इसमें कहा गया है कि अवैध घुसपैठियों को पहचान कर एनआरसी बनाया जाएगा, ये आपके ही प्रधानमंत्री लाये थे.
उन्होंने कहा, ‘राज्य में घुसपैठियों की पहचान जरुरी हो गया था, आखिर लोग उन्हें बचाना क्यों चाहते हैं. हमने यह कर दिखाया क्योंकि किसी में घुसपैठियों की पहचान की हिम्मत नहीं थी.’
शाह के इस बयान के बाद हंगामा शुरू हो गया और विपक्ष में बैठे लोग शोर मचाने लगे. हालांकि शाह ने अपना बयान जारी रखा और कहा कि यह सब कुछ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत किया जा रहा है.
इसके बावजूद शोर नहीं थमने पर वेंकैया नायडू ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सही तरीका नहीं है. इसके बाद सभापति ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी. बाद में इसे कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया.