पवन राजपूत(सोनीपत) ।। हरियाणा सरकार ने पिछले दो साल में जीएसटी से बढ़िया राजस्व प्राप्त किया है। जीएसटी ने हरियाणा सरकार को मालामाल किया और सरकार ने जीएसटी से 55231 करोड़ रुपये कमाए। इतना ही नहीं हरियाणा में दो लाख नए करदाता भी बढ़ गए हैं, जिससे अब प्रदेश में जीएसटी के तहत करदाताओं की संख्या 4.25 लाख हो गई है। हरियाणा के वित्त, आबकारी एवं कराधान मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने जीएसटी क्षेत्र में हरियाणा की परफार्मेंस से जीएसटी काउंसिल को अवगत करवाया है।
वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने बताया कि दो वर्ष के बाद अभी तक हरियाणा को जीएसटी से 55,231 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ जबकि पूरे देश के राज्यों में 11,77,370 करोड़ रुपये का संग्रहण हुआ है। जबकि हरियाणा में मूल्य संवर्धन कर तथा केंद्रीय बिक्री कर के तहत वर्तमान में 2.25 लाख करदाताओं की वर्तमान संख्या के अतिरिक्त जीएसटी के तहत दो लाख नए करदाताओं ने पंजीकरण करवाया है। इस प्रकार, इसके तहत करदाताओं की संख्या 4.25 लाख से अधिक हो गई है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2017-18 में जीएसटी क्रियान्वयन के बाद आठ महीने के दौरान राज्य जीएसटी, केंद्रीय जीएसटी, एकीकृत वस्तु एवं सेवाकर तथा सेस सहित कुल संग्रहण 36815 करोड़ रुपये रहा, जो औसतन 4601 करोड़ रुपये प्रतिमाह रहा। इस दौरान जीएसटी के अंर्तगत राज्य का संग्रहण 10178 करोड़ रुपये रहा जिसमें कुछ अस्थायी एकीकृत वस्तु एवं सेवाकर के मामले के निपटान भी शामिल थे।
जबकि वर्ष 2017-18 के दौरान राज्य का संरक्षित राजस्व 13200 करोड़ रुपये का रहा, जिसमें 1933 करोड़ रुपये के मूल्य संवर्धन कर तथा केंद्रीय बिक्री कर के मामलों की प्रतिपूर्ति होनी थी, जिसमें से 1199 करोड़ रुपये प्राप्त हुए तथा 667 करोड़ रुपये की प्राप्ति अस्थाई एकीकृत वस्तु एवं सेवाकर के निपटान के रूप में हुई।
वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान अस्थायी एकीकृत वस्तु एवं सेवाकर के निपटान सहित राज्य में जीएसटी संग्रहण 16541 करोड़ रुपये रहा जो गत वर्ष के 1199 करोड़ रुपये औसतन प्रतिमाह से बढ़कर 1272 करोड़ रुपये से 1378 करोड़ रुपये के बीच रहा जो 8.33 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इसी तरह वर्ष 2018-19 के दौरान राज्य का संरक्षित राजस्व 22560 करोड़ रुपये का रहा जिसमें 1880 करोड़ रुपये के मूल्य संवर्धन कर तथा केंद्रीय बिक्री कर के मामलों की प्रतिपूर्ति के लिए 2820 करोड़ रुपये प्राप्त हुए तथा 2476 करोड़ रुपये की प्राप्ति अस्थायी एकीकृत वस्तु एवं सेवाकर के निपटान के रूप में हुई।