अमन वर्मा/मण्डलेश्वर!! तहसील मुख्यालय स्थित सरकारी दफ्तरों को अधिकारी नहीं मिल पा रहे हैं। इन दिनों प्रमुख कार्यालय प्रभारियों के भरोसे चल रहे हैं। इसका सीधा प्रभाव विभाग की योजनाओं व कामकाज पड़ रहा है। अधीनस्थ अमला प्रभारियों की अनसुनी कर फील्ड में मानीटरिंग भी नहीं कर रहा। इससे सेवाएं भी प्रभावित हो रही है। जरूतमंद हितग्राही कार्यालय के चक्कर लगाने को मजबूर हो रहे हैं। जनपद पंचायत, विकासखंड शिक्षा अधिकारी व बीआरसी के प्रभारी होने से सबसे अधिक परेशानी है। जनपद पंचायत का प्रभार खरगोन सीईओ के पास है। 5 फरवरी 2020 को सीईओ रोहित पचौरी ने कार्यभार संभाला। वे 7 माह बाद छुट्टी पर चले गए। कसरावद सीईओ को प्रभार दिया गया। 1 माह बाद पचौरी ने वापस जवाबदारी संभाली। लेकिन 27 नवंबर 2020 से फिर छुट्टी पर जाने से खरगोन सीईओ राजेंद्र शर्मा को प्रभारी बनाया गया। वे खरगोन के साथ यहां का काम देख रहे है। इसलिए जरूरी काम निपटाने के लिए लोगों को उनके आने का इंतजार करना पड़ता है। हितग्राही भी कई बार उनके नहीं होने से आवेदन लिए घूमते नजर आते हैं। तहसीलदार का पद भी प्रभारी के रूप में राधेश्याम पाटीदार के पास है। विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय प्रभारी के भरोसे है। यहां पर मार्च 2020 से कोई भी स्थायी अधिकारी नहीं आया। उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य राहुल पाध्ये को अतिरिक्त प्रभार दिया गया। बीआरसी का काम भी राहुल पाध्ये को ही संभालना पड़ रहा है। वे प्राचार्य के साथ बीईओ व बीआरसी का काम संभाल रहे हैं। इससे स्कूल के काम पर असर पड़ रहा है। कन्या हाईस्कूल का प्राचार्य का पद भी 2015 से प्रभारी के पास ही है।