सत्येंद्र सैनी/मुजफ्फरनगर!! नीम हकीम-खतरा-ए-जान वाली कहावत उस समय चरितार्थ हो गई, जब पशु चिकित्साधिकारी की गैर मौजूदगी में चिकित्सालय में तैनात चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी ने एक भैंस का कृत्रिम गर्भाधान करते हुए उसे इंजेक्शन लगा दिया। इंजेक्शन लगते ही भैंस की मौके पर ही मौत हो गई। भैंस की मौत से ग्रामीणों में रोष फैल गया और उन्होंने भैंस के मुआवजे व आरोपी कर्मचारी व चिकित्साधिकारी के खिलाफ कार्रवाई किये जाने की मांग को लेकर हंगामा कर दिया। भोपा थाना क्षेत्र के भेकरहेडी में पशु चिकित्सालय बनाया गया है, जहां पर पशुओं की बीमारियों के इलाज के अलावा पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान भी किया जाता है। इस चिकित्सालय में चिकित्सक की तैनाती है, परन्तु चिकित्सक यहां पर कभी-कभार ही आता है और उसकी गैर मौजूदगी में यहां तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही पशुओं का उपचार व कृत्रिम गर्भाधान करता है। शुक्रवार की सुबह भेकरहेडी निवासी सुरेन्द्र पुत्र रामसिंह अपने भैंस का गर्भाधान कराने के लिए इस चिकित्सालय में पहुंचा था। बताया जाता है कि चिकित्सक की गैरमौजूदगी में यहां तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जयवीर ने उसकी भैंस का कृत्रिम गर्भाधान किया और इसके बाद उसने भैंस को एक इंजेक्शन लगाया। बताया जाता है कि इंजेक्शन लगते ही भैंस की मौत हो गई। ग्रामीणों ने भैंस के मुआवजे व आरोपी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर हंगामा कर दिया। सूचना मिलने पर भेपा थाना प्रभारी सूबे सिंह भी मौके पर पहुंच गए और उन्होंने ग्रामीणों का आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई किये जाने का आश्वासन देकर शांत किया। पुलिस ने भैंस के शव को कब्जे में ले लिया और उसका पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। एक ओर जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोवंश संरक्षण व सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं, वहीं पशु चिकित्सा विभाग के कर्मचारी इन्हें गोशालाओं के कार्य को जान का बवाल बताते हैं। इनका मानना है कि गोसुरक्षा की जिम्मेदारी उनकी जान पर बवाल है और उन्हें अनावश्यक कार्य करना पड़ता है। इस बात से यह अंदाजा लगया जा सकता है कि मुख्यमंत्री की कार्ययोजना को लेकर यह कर्मचारी कितने गंभीर हैं। गौरतलब है कि भोपा थाना क्षेत्र के कस्बा भोकरहेडी स्थित पशु चिकित्सालय में तैनात एक चतुर्थ श्रेणी द्वारा कराये गये कृत्रिम गर्भाधान के बाद एक भैंस की मौत हो गई थी। भैंस की मौत से क्षुब्ध ग्रामीणों ने चिकित्सालय में पशु चिकित्सा अधिकारी की गैर माजूदगी पर सवाल उठाये थे। जब ग्रामीणों ने यहां तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जयवीर सिंह पर सवाल उठाये थे, तो वह झल्ला उठा था और उसने कैमरे के सामने तेश में आकर बोला कि उनकी जान पर गोशाला बवाल बनकर खड़ी हैं, जिसके चलते उन्हें अनावश्यक कार्य करना पड़ रहा है। कर्मचारी के अनुसार गोशाला के पशुओं के उपचार के लिए जाना उन्हें गंवारा नहीं है और वह इस कार्य से दुखी हैं। वह इस कार्य को अनावश्यक कार्य मानते हैं। कर्मचारी की यह वार्ता शैली जाहिर कर रही है कि वह मुख्यमंत्री की भावनाओं का कितना सम्मान करते हैं।