स्नेहा महाराणा/कटक!! भारतीय रेलवे देश का सबसे बड़ा राज्य के स्वामित्व वाला उद्यम है और रेलवे देश की जीवन रेखा है। रेल परिवहन सार्वजनिक परिवहन से लेकर खनिज संसाधनों, औद्योगिक उत्पादों, खाद्यान्नों इत्यादि तक माल के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारतीय रेलवे शहर के कार्यालयों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कम वेतन वाले श्रमिकों के लिए परिवहन का एकमात्र विश्वसनीय साधन है। हजारों श्रमिक, दिहाड़ी मजदूर, सफाई कर्मचारी, वेट्रेस और अन्य लोग परिवहन के लिए ट्रेन पर निर्भर करते हैं। लेकिन जब पूरी दुनिया कोविड़ महामारी से पीड़ित है और आम लोगों का जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त है, इस समय केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने रेलवे के साथ एक बड़े राज्य के स्वामित्व वाले उद्यम का निजीकरण करने का फैसला किया है और इसको देश के कॉर्पोरेट पूंजीपति वर्ग के हाथों में देने का फैसला लिया है। परिणामस्वरूप, रेल किराए में वृद्धि से जीवन-यापन की लागत में व्यापक वृद्धि हुई है। इसलिए आज रेलवे के निजीकरण और बढ़े हुए रेल किराए को निरस्त करने के साथ-साथ, सभी स्थानीय यात्री ट्रेनों के साथ रेल सेवाओं को सामान्य करने और यात्रियों को पहले से दी गई सभी छूट प्रदान करने के लिए आज ओडिशा में रेल-विरोधी निजीकरण अभियान शुरू किया गया है। इस अवसर पर कटक शाखा ने कटक जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से केंद्रीय रेल मंत्री और ओडिशा के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन जारी किया गया है। विरोध प्रदर्शन की अध्यक्षता संगठन के जिला मेजबान बसंत नायक ने की और साथ में सर्वश्री विस्ववासु दास, खोगेस्वर सेठी, रमेश दलाई, राजकिशोर मल्लिक, सिराज अल्ली, रविंद्रनाथ राउत, विश्वभूषण त्रिपाठी, जाकिर अल्ली खान, अशोक वेहेरा, सिद्धार्थ रथ प्रमुख सामिल हुए थे।