स्नेहा महाराणा/कटक!! रेलवे निजीकरण के फैसले के विरोध में रेल निजीकरण के विरोधी जन अभिजान ओड़िशा, कटक शाखा कि और से कटक रेलवे स्टेशन के सामने विरोध प्रचार प्रदर्शन किया गया था। कटक रेलवे प्रबंधक के माध्यम से विरोध कार्यक्रम से आठ मांगों वाला एक ज्ञापन प्रधानमंत्री को सौंपा गया है। ज्ञापन में रेल सेवाओं के निजीकरण, रेल परिवहन की छंटनी, अनुबंध कर्मचारियों को बंद करने और स्थायी रोजगार के प्रावधान, निजी कंपनियों को स्टेशनों के पट्टे, स्टेशन परिसर में बेचे जाने वाले सामानों की कीमतों में वृद्धि के लिए रोक लगाने,यात्री भाडे और माल भाड़े में वृद्धि न करने , वरिष्ठ नागरिक, विकलांगों और छात्रों को छूट का प्रावधान, स्टेशन के आसपास के क्षेत्र में खराब बाजार को उठाना, रिक्शा चालकों, ऑटो चालकों, प्लेटफॉर्म टिकट, रेस्ट हॉल टिकट, बाइक, कार, ऑटो स्टैंड किराए के प्रवेश पर प्रतिबंध को हटाना आदि को लेकर मांग किया गया है। इस बीच, सरकार ने 109 रेल मार्गों पर 151 घरेलू ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया है। सरकार ने निजी मालिकों को इन निजी ट्रेनों पर यात्रियों को चार्ज करने की अनुमति दी है। सरकार को तुरंत इस निर्णय को रद्द करने के लिए मांग कि गई है। सरकार कोभीद महामारी के दौरान एक के बाद एक नीति अपना रही है, दूसरी और इस बुरे हालत के समय पर, देश भर में लोग फंसे हुए हैं, रेल और अन्य लाभार्थी राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को निजी कंपनियों के हाथों में छोड़ दे रहे हैं। इस प्रतिवाद कार्यक्रम में रेल निजीकरण जन अभियान कटक जिला आवाहक बसंत नायक, बिश्वबासु दास, श्यामसुंदर दास, खगेश्वर सेठी, राजकिशोर मल्लिक, अक्षय राउल, रमेश चंद्र दलाई, सिद्धार्थ नाथ, सस्मिता महान्ति , बासुदेव दास, सेक सिराज अली, संतोष ताहल, प्रमुख प्रतिवाद में शामिल हुए थे।