पत्रकार- राजकुमार कश्यप/दिल्ली!! एक बुजुर्ग विधवा औरत अपनी तीन बेटियों को ना जाने किन परिस्थितियों में पालती है। उनके दो वक़्त की रोटी का इंतजाम करती है। अपने क्षमता के अनुसार पढ़ती है, लिखाती है। उन्हे काबिल बनती है। विधवा पेंशन के द्वारा बेटी की शादी कर देती है। अपनी क्षमता के अनुसार घर ग्रहस्थी का सभी समान देती है। इस पर भी दहेज लोभी संतुष्ट नहीं होते वे बार बार लड़की को और दहेज लाने का दवाब बनाते हैं। दहेज न लाने पर लड़की को मानसिक प्रताड़ना का शिकार बनाते हैं। यह सिलसिला दिन पर दिन बढ़ता ही गया। मानसिक प्रताड़ना से बात शारीरिक प्रताड़ना तक पहुँच गयी। दहेज लोभी नरपिशाचों का लालच और बढ़ता गया। लड़की जब भी किसी त्योहार पर अपने माता के घर आती दहेज लोभी उसे नगदी और समान लाने के लिए विवश करते। विधवा माँ इतना सब करने में असमर्थ थी। दहेज न देने के एवज में नरपिशाच लड़की को तलाक देने की धमकी देते।
पूरा मामला – अपनी बड़ी बेटी की शादी के बाद प्रेमवती के पति का स्वर्गवास हो गया। इसके बाद 2 बेटियों का लालन-पालन, शिक्षा शादी सब अकेले प्रेमवती ने ही किया। अपनी बेटी माला(27) की शादी प्रेमवती ने यमुनानगर निवासी सिद्धार्थ गौतम पुत्र मिट्ठू लाल के साथ 26 अप्रैल 2019 को की। सिद्धार्थ गौतम पेसे से दोपहिया वाहन शोरूम में सेल्समैन है। शादी में प्रेमवाती ने अपनी क्षमता के अनुसार घर-गृहस्थी का सभी समान दिया। बेटी को राजी-खुशी विवाह संबंध में बांध दिया। उन्हे क्या पता था जिस बेटी को वे खुशी से विदा कर रहीं हैं एक साल के अंदर ही उसकी जिंदगी का अंत इस तरह से हो जायेगा। शादी के बाद ही माला के पति सिद्धार्थ गौतम, ससुर मिट्ठू लाल, सास रेखा देवी, देवर अलकेश गौतम और ननद मीनाक्षी ने उसे दहेज के लिए मानसिक प्रताड़ना देना शुरू क़र दिया। रोज-रोज की मानसिक प्रताड़ना से छुटकारा पाने के लिए माला ने अपने पति के साथ अलग रहना शुरू कर दिया। लेकिन मानसिक, शारीरिक प्रताड़नाओं ने यहाँ भी उसका पीछा नही छोड़ा, अंत में थक हार कर माला ने आत्मदाह का फैसला ले लिया। आत्महत्या से पहले माला ने व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से अपने पति से बात की। फंदा बनाते हुए उसका लाइव प्रसारण भी किया। किंतु पति ने उसे ना रोकने की चेष्ठा की और ना ही उसे समझाया, न ही पुलिस को सूचित किया। माला फंदे पर झूलती रही और पति तमाशाई बन कर ये सब वीडियो कॉल के माध्यम से देखता रहा। यह कहानी तो केवल एक माला की है ना जाने भारत में कितनी ही माला हैं इस तरह से शारीरिक मानसिक आर्थिक प्रताड़ना का शिकार हो रही हैं। आखिर इन दहेज लोभी नर पिशाचों पर कब नकेल कसेगी? आखिर कब इस समाज से दहेज लोभियो की अर्थी निकलेगी?

