पत्रकार-देवेन्द्र शुक्ला!! नई दिल्ली के शकूर बस्ती में रेलवे आइसोलेशन में मैं पत्रकार देवेंद्र शुक्ला स्वयं भी भर्ती हूँ। यदि मैं बात करूँ रेलवे आइसोलेशन में भर्ती सभी लोगों की जिनके साथ यहाँ का स्टाफ अमानवीय और अभद्रता पूर्वक व्यवहार करता है। इलाज के नाम पर रोगियों के मौलिक अधिकारो तक का यहा का मेडिकल स्टाफ हनन कर रहा है। बात आपस मे बात करने पर पावन्दी, खाने सोने पर रोक यदि इस जुल्म के खिलाफ कोई बोलता या आवाज़ उठाता है तो मेडिकल स्टाफ द्वारा डराया धमकाया और मारा पीटा जाता है। पुलिस केस में फसाने की धमकी दी जाती है। मेरा यह सवाल या हम जैसे लोग जो परेशानीवश जो उपचार करा रहे हैं आखिर उनके साथ क्यूँ पेशेवर अपराधियों जैसा सुलूक किया जा रहा है। क्या किसी रोगी के मौलिक अधिकार नहीं होते? डॉक्टर जिसे भगवान का दूसरा रूप भी कहा जाता है आखिर वे क्यू गली के गुंडों और पेशेवर अपराधियों की भाषा में क्यू रोगियों को धमका करे हैं। एक पत्रकार समाज का आईना है जब पेशेवर पत्रकार के साथ इस तरह का व्यवहार हो रहा है तो आप स्तिथी का अंदाज़ा लगाये किसी आम इंसान के साथ कैसा-कैसा व्यवहार हो रहा होगा। रोगी रोग से बाद में मरेगा पहले मेडिकल स्टाफ के व्यवहार से मर जाएगा।