देश दीपक शुक्ला/बिलग्राम/हरदोई!! मारे मरिय जियाए जीजै कहावत को चरितार्थ कर रहे ग्राम प्रधान के पति द्वारा बेझिझक जमकर धन उगाही की जा रही है।जिन्हें शासन व प्रशासन का कोई भय नहीं है। अति शीघ्र पूँजीपति बनने की महत्वाकांक्षा में सारे नियमों को ताख में रखकर गरीब मजबूर ग्रामीणों का खून चूसने से बाज नहीं आ रहे हैं। मामला विकासखंड बिलग्राम के ग्राम पंचायत परचल रसूलपुर की महिला प्रधान के प्रतिनिधि पति ओमेंद्र कुमार उर्फ छोटे भईया ने लिए आवास के नाम गरीब ग्रामीण जनता से बीस-बीस हजार रूपए, जब ग्रामीणों ने प्रधान पति से इस विषय पर जानकारी ली तो उन्होंने प्रशासन का हवाला देते हुए कहा कि आवास के नाम पर रू20,000 हजार इस संबंधित आला अधिकारियों को देने पड़ते हैं। सूबे सरकार के साथ साथ हरदोई जिले के डीएम पुलकित खरे भले ही स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले को स्वच्छ व सुन्दर बनाने व भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए दिन-रात एक कर, जिले के अधिकारियो पर कड़ी नजर रखे हुए। इसके बावजूद भी कुछ भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारी व जन प्रतिनिधि अपनी खाऊ-कमाऊ आदत से बाज नहीं आ रहे है। जिले में शौचालय घर-घर ना बने होने पर अधूरे होने पर जिला अधिकारी द्वारा अभी हाल में ही संबंधित अधिकारियो और ग्राम प्रधानों को निर्देशो के साथ- साथ जल्द पूर्ण होने के आदेश पारित किए। जिलाधिकारी पुलकित खरे ने यह भी चेतावनी दी थी यदि कोई अधिकारी सिथिलता बरतता है, उस पर कार्यवाही सुनिश्चित है। संबंधित अधिकारी जिलाधिकारी के आदेशों को पलीता लगाने का काम करने मैं लगे हैं। इससे साफ जाहिर हो रहा है जिलाधिकारी के रसूख को चुनौती दे रहे जिम्मेदार। कई ग्रामपंचायतो में शौचालय आज भी अधूरे पड़े , मजे की बात तब जब ग्राम पंचायत ओडीएफ मे घोषित कर दी गई। आप को बताते चले विकासखंड बिलग्राम के ग्राम पंचायत परचल रसूलपुर का एक मामला प्रकाश में आया है। वहां के ग्रामीणों का आरोप प्रधान पति की सेटिंग के चलते स्वच्छ भारत मिशन के तहत, शौचालय निर्माण का पैसा लाभार्थी के खाते पर न पहुंच कर सीधा प्रधान के खाते में गया। प्रधान के ठेकेदारों ने शौचालय बनवाए, सिर्फ दिवारे बनाकर बाकी कुछ नहीं ना तो टैंक है, ना सीट अधूरे पड़े शौचालय। जिससे साफ प्रतीत होता है कि यहां शौचालय निर्माण के रूपए में बंदर-बाट हुआ। ग्रामीणों का आरोप है प्रधान प्रतिनिधि अपने मन कार्य करवाता है, अगर कोई सवाल जवाब करता है तो उसे गाली गलौज कर के भगा देता है। ग्राम पंचायत में बना बारात घर जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है वह भी जर्जर पड़ा है। बारात घर में प्रधान जी का भूसा और जरूरी समान भरा है। आखिरकर इस प्रधान पति की दबंगई गरीबों के खून पसीने की कमाई से बना बरातघर उनकी सुविधा के लिए कि भूसा भरने के लिए। ग्राम पंचायत में मनरेगा का भी हाल बेहाल है कोविड-19 के तहत बाहर से आए प्रवासियों को कोई मजदूरी ना मिलने के कारण अपने परिवार का भरण पोषण करने से असमर्थ हैं, मानसिक बीमारी का शिकार हो रहे है।
इस भ्रष्ट प्रधान पति की दबंगई और धांधली कब तक चलती रहेगी। कवरेज करने गए मीडिया कर्मियों के पीछे हमला करने के उद्देश्य से दौड़ा दी अपने समर्थकों की मोटरसाइकिले, ऐसा दबंग प्रधान पति जिसको मीडिया के कैमरों से भी नहीं लगता भय। शासन को चाहिए प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर गरीब ग्रामीणों के न्याय के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर निष्पक्ष जांच कराई जाए। दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। शासन ग्रामीणों को न्याय दिलाने से मुकरता है, तो सारी मिलीभगत को दर्शाएगा।
