भागवत कुमार तिवारी/दिल्ली!! सुल्तानपुरी के निवासी हरेश चंद अग्रवाल ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर सुसाइड कमिट कर लिया। वहीँ तीस हज़ारी के एक वकील ने भी अपनी जान देने की कोशिश की। एडवोकेट कमिटी के मेंबर आशकार हुसैन पाशा ने बताया कि किस प्रकार वकीलों को लॉकडाउन में काम बंद होने के बाद सरकार की तरफ से भी कोई राहत नहीं मिली है। इसी के चलते वो ख़ुदकुशी का रास्ता अपना रहे हैं।
नयी दिल्ली के सुल्तानपुरी इलाके में रहने वाले हरेश चंद अग्रवाल ने आर्थिक परेशानी के चलते आत्महत्या कर ली। पिछले कुछ अरसे से काम न कर पाने के कारण रोहिणी कोर्ट में कार्यरत हरेश को आर्थिक मंदी ने घेर लिया और इससे परेशान हो कर अंत में उन्होंने हिम्मत छोड़ दी और अपनी जान दे दी। केवल यही नहीं तीस हज़ारी में काम करने वाले एक एडवोकेट ने भी इसी समस्या के चलते अपनी जान देने की कोशिश की। लॉकडाउन की मार ने समाज के कई तबकों के लिए बड़ी परेशानियां खड़ी कर दी हैं और वकील वर्ग भी उसी में शामिल है।
मार्च में कोरोना विस्फोट के बाद जब पूरे देश में क्वारंटाइन घोषित कर दिया गया तब कई लोगों के लिए असली समस्या पैदा हो गयी। कमाई के साधन बंद हो जाने की वजह से जीवन निर्वाह मुश्किल हो गया और सरकार की तरफ से भी किसी तरह की कोई सहायता की उम्मीद नहीं बची। पी एम केयर फण्ड में यूं तो अरबों रूपये जमा हुए लेकिन वो ज़रूरतमंदों तक नहीं पहुँच पाए। यही कारण है कि साधनो के अभाव में लोगों ने मौत को गले लगाना शुरू कर दिया। एडवोकेट मेंम्बर डिसिप्लनरी कमेटी बार काउंसिल से जुड़े आशकार हुसैन पाशा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आखिर क्यों इस तरह के वाकये सामने आने लगे हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान कोर्ट में काम करने वाले सभी लोगों को उनका वेतन समय पर मिलता रहा। जज और पब्लिक प्रोसिक्यूटर से लेकर क्लर्क और सफाई कर्मियों को भी उनकी तनख्वाह घर पर मिलती रही है। केवल वकील वर्ग ही ऐसा है जो महामारी के इस दौर में असली परेशानियों से लड़ रहा है। एडवोकेट का कोई बंधा हुआ वेतन नहीं होता। उन्हें कोर्ट में जाकर बैठना होता है और क्लाइंट के साथ मीटिंग और प्रोसीडिंग के बाद ही आमदनी होती है और घर से निकले बिना ये संभव नहीं है।
सरकार ने असमर्थ वर्ग के लिए मुफ्त राशन और किराया माफ़ जैसी योजनाएं चलायी हैं लेकिन देश में कई ऐसे लोग हैं जिनके पास तक ये सुविधाएं पहुँचती ही नहीं हैं। एडवोकेट मेंम्बर डिसिप्लनरी कमेटी बार काउंसिल के आशकार हुसैन अब इस कोशिश में लगे हैं कि सरकार तक वकीलों की ये समस्याएं पहुंचे उन्होंने सीएम ऑफिस तक भी यह बात पहुंचाने की कोशिश की तथा मृतक हरेश चंद्र अग्रवाल के पत्नी से भी बात करके ढाढस बंधाया ताकि उन्हें हर वो मदद मिल पाए जिसकी उन्हें ज़रुरत है। वकील हमारे देश की न्याय व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ हैं और इसलिए उन्हें न्याय और ज़रूरी सहायता मिलना ज़रूरी है।