बहुत ज्वलंत प्रश्न है आजकल लड़कियों के लिए। पैदा होकर मरोगी या पहले। मरना तुम्हे है ही समय से पहले। इस देश का दुर्भाग्य देखिये कि संस्कृति की दुहाई भी इसी देश में सबसे ज्यादा दी जाती है। “जहाँ नारी का सम्मान होता वहां देवता निवास करते हैं” का मन्त्र सबसे ज्यादा यहीं जपा जाता है। साल में दो बार नवरात्रों में कंजक मानकर उसे पूजा जाता है उसके चरण पखारे जाते हैं , उसी देश में तीन महीने की मासूम बच्ची से लेकर 80 साल की वृद्ध महिला तक सुरक्षित नहीं है। शायद घोर कलिकाल के यही लक्षण होंगे। देश का कोई भी हिस्सा नहीं जहाँ लड़कियों को छेड़छाड़ -बदतमीजी का सामना न करना पड़ता हो। कभी मुँह पर तेजाब डाल कर बदसूरत कर दिया जाता है तो कभी जान से मारने की धमकी या मार भी दिया जाता है। चारों तरफ बेटी बचाओ के नारों के बीच रोज न जाने कितनी बेटियों को मौत के मुँह में धकेल दिया जाता है। घर वालों की मर्जी के बगैर शादी करो तो मरना पड़ता है। कभी दहेज़ की बलिवेदी पर चढ़ना पड़ता है। ससुराल में वारिस पैदा न करो, बेटा पैदा न हो तो सजा भुक्तो। शादी के बाद सुबह से लेकर देर रात तक घर के काम में पिले रहो ,सबकी जली कटी सुनते रहो ,किसी के काम में थोड़ी से देर हो जाये ,कोई कमी रह जाये तो डांट खाओ। इसे घुट घुट कर मरना कहते हैं। मनमर्जी का खा पी नहीं सकती , पहन नहीं सकती , पिक्चर नहीं देख सकती। लड़को से दोस्ती नहीं कर सकती।
औरत जाति तो शायद पैदा ही घुट घुट कर मरने के लिए होती है। कुछ पढ़ी लिखी ,बगावती तेवर वाली महिलाएं इसका अपवाद हो सकती हैं वर्ना ग्रामीण परिवेश की और शहरी मध्यम वर्गीय महिलाएं तो दिन रात घुट घुट कर मरती है। कभी कभी “तुम तो घर की मालकिन हो ” नाम का एक झुन्झना हाथ में थमा दिया जाता है। अपने पैसे बचाने के चक्कर में और हाउस टैक्स में छूट पाने के लिए मकान की रजिस्ट्री उसके नाम करा दी जाती है।
Deepak sharma (BVC-942470) Geeta Colony