‘पूरी छोड़ ने आधी खानी, पण मेवाड़ छोड़ने कठेई नि जानी’ यानी भले ही पूरा छोड़कर आधा ही खाओ, लेकिन मेवाड़ छोड़कर कहीं न जाओ….यह कहावत है मेवाड़ की. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मेवाड़ से अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की है. इसके पीछे का कारण है कि जब-जब मेवाड़ से उन्होंने चुनावी यात्रा की शुरूआत की तब-तब राजस्थान की सत्ता में वापसी की.
यह यात्रा करीब 40 दिन चलेगी. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इस यात्रा की शुरुआत के दौरान मौजूद रहे तो पीएम मोदी इसके समापन के मौके पर मौजूद रहेंगे.
दक्षिण राजस्थान में स्थित अजेय भूमि मेवाड़ का राजस्थान की राजनीति में अलग ही महत्व है. कहा जाता है कि राजस्थान में सत्ता का रास्ता मेवाड़ से ही होकर गुजरता है. जो मेवाड़ जीतता है, वही राजस्थान पर राज करता है. यह आधुनिक लोकतांत्रिक अवधारणा ही नहीं, मध्यकालीन राजपूताना (आज की तारीख में राजस्थान) का शक्ति का केंद्र भी मेवाड़ ही था.
इतिहास के तथ्य तलाशें और मेवाड़ के शूरवीर शासक महाराणा प्रताप की बात करें, तो मुगल बादशाह अकबर भी सारी कोशिशें करने के बावजूद अंत तक मेवाड़ को जीत नहीं पाए. महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी और अकबर महाराणा के प्रताप को परास्त नहीं कर पाए. लिहाजा अकबर ने पूरा ध्यान दिल्ली पर केंद्रित कर लिया. सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण राजस्थान के ऐतिहासिक दुर्ग-चितौड़गढ़, कुंभलगढ़ मेवाड़ में ही स्थित हैं.