विश्व बैंक ने मनरेगा को 2015 में दुनिया के सबसे बड़े पब्लिक वर्क प्रोग्राम की संज्ञा दी थी. वहीं भारत में मनरेगा देश के 15 फीसदी गरीब परिवारों को 100 दिन के रोजगार की गारंटी देकर सामाजिक सुरक्षा देने का दावा करता है. हालांकि बीते 3 साल से देश के सभी राज्यों में इस योजना के लक्ष्य को पूरा नहीं किया गया…
केन्द्र सरकार की ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रोजगार योजना मनरेगा को उसकी पूरी क्षमता के साथ लागू किया जाए तो मजदूरों की आमदनी में बड़ा इजाफा होने की संभावना है. केन्द्रीय रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट का दावा है कि वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान औसतन महज 50 दिन का रोजगार दिया गया.
केन्द्र सरकार की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत देश के ग्रामीण इलाकों में दिहाड़ी मजदूरों को कम से कम 100 दिन का रोजगार देने की गारंटी का प्रावधान है. योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में उस प्रत्येक व्यस्क को न्यूनतम 100 दिन का रोजगार दिया जाएगा जो सरकार के पास रोजगार मांगने जाएगा.
गौरतलब है कि विश्व बैंक ने मनरेगा को 2015 में दुनिया के सबसे बड़े पब्लिक वर्क प्रोग्राम की संज्ञा दी थी. वहीं भारत में मनरेगा देश के 15 फीसदी गरीब परिवारों को 100 दिन के रोजगार की गारंटी देकर सामाजिक सुरक्षा देने का दावा करता है. आरबीआई की रिपोर्ट यह भी दावा कर रही है कि देश का कोई भी राज्य ने इस केन्द्रीय योजना के मुताबिक पूरे 100 दिन का रोजगार नहीं दे पाई है.