अपने दोपहिया या चौपहिया वाहन में पेट्रोल या डीजल भरवाने के लिये हमें पेट्रोल पम्प जाना ही पड़ता है। जहाँ आमतौर पर दोपहिया वाहनों के लिए और चौपहिया वाहनों के लिये अलग-अलग स्थान नियत होते हैं। वहीं डीजल व पेट्रोल के पम्प भी अलग-अलग होते हैं परन्तु सभी स्थानों पर एक चीज समान होती है और वह है – पेट्रोल या डीजल डालने वाले लम्बे-लम्बे काले रंग के पाइप। सामान्य तौर पर देखें तो इसमें कुछ अजीब नहीं लगता परन्तु यदि गौर करें तो पायेंगे कि इनकी लम्बाई जरूरत से बहुत अधिक होती है तथा पेट्रोल पम्प कर्मचारी वाहन को पम्प के ज्यादा से ज्यादा निकट लाने को जोर देते हैं, जिस कारण पाइप वाहन के नजदीक ही इकठ्ठा हो जाती है।
जब कर्मचारियों से पाइप की इतनी अधिक लम्बाई का कारण जानना चाहा तो पता चला कि भीड़ होने पर पाइप दूर तक ले जाना पड़ता है, इसलिये लम्बाई अधिक रखनी पड़ती है। जो कि सफेद झूठ से बढ़कर कुछ नहीं क्योंकि वाहन के पम्प के नजदीक आने पर ही कर्मचारी वाहन चालक से पूछकर fuel (ईंधन) की कीमत जानकर मीटर को शून्य करता है तथा ईंधन डालना आरम्भ करता है तथा जैसे ही मीटर में दी गयी कीमत के अनुसार पेट्रोल/डीजल डल जाता है तो पाइप को टेढ़ाकर नोजल निकाल लेता है। आइये अब जानते हैं, पाइप की लम्बाई का अनावश्यक रूप से लम्बा होना तथा पम्प कर्मचारी द्वारा नोजल निकालने की हड़बड़ी के विषय में। जैसा कि हम सभी इस बात से अनभिज्ञ नहीं हैं कि यदि तरल पदार्थ को pressure (दबाव) न दिया जाये तो यह अपने आप आगे नहीं बढ़ता और जैसे ही दबाव हटता है, यह वहीं रुक जाता है। जब हम ईंधन अपनी गाड़ी में डलवाते हैं तो जैसे ही मीटर में दी गयी कीमत पूरी होती है तो हैंडल में लगा lock खुल जाता है और कर्मचारी नोज़ल निकालने की हड़बड़ी करता है परन्तु उस समय भी पाइप में ईंधन काफी मात्रा में रह जाता है और क्योंकि टैंक तक ईंधन पहुंचाने के लिए लगाया गया pressure बन्द हो चुका होता है तो वह ईंधन उसी पाइप में रह जाता है। जिसे कर्मचारी वापिस टैंक तक पहुंचा देते हैं। इसके विपरीत CNG पम्प पर लगे पाइप की लम्बाई आवश्यकतानुसार ही रखी जाती है क्योंकि तरल पदार्थ के समान ही गैस के गुण नहीं होते और प्रेशर हटने पर गैस के पाइप में ही रह जाना असंभव है।
कुछ पेट्रोल पम्प कर्मचारी ईंधन डालते समय हैंडल में लॉक लगाने के स्थान पर उसके लीवर को बार-बार दबाते छोड़ते हैं, जिस कारण प्रेशर कभी बन्द होता है तो कभी खुलता है और मीटर रीडिंग बहुत मामूली झटकों के साथ बहुत जल्द पूरी हो जाती है। यदि पाइप की लम्बाई आवश्यकतानुसार ही रखी जाए तथा ये पाइप काले रंग के स्थान पर पारदर्शी लगाए जायें तथा दोषी कर्मचारियों व पेट्रोल पम्प मालिक पर सख्ती से कानूनन कार्यवाही की जाये तो इस भ्रष्टाचार को किसी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
-dinesh sharma (Bvc-295840)