सूरज कुमार/पटना!! बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति अध्यक्षमंडल सदस्य सह परिवर्तनकारी माध्यमिक-उच्चतर माध्यमिक शिक्षक संघ बिहार के प्रदेश अध्यक्ष अरुण क्रांति कुशवाहा एवं परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ बिहार के प्रदेश महासचिव आनंद मिश्रा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर, इटीवी भारत के साथ बिहार के शिक्षामंत्री द्वारा बातचीत के दौरान 5 सितम्बर को गांधी मैदान पटना में शिक्षकों द्वारा आहूत धरने पर नाराजगी जताने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। कुशवाहा ने कहा है कि नियोजित शिक्षकों की मांगें पूर्णतया जायज एवं संवैधानिक अधिकारों के दायरे में है। समान काम के बदले समान वेतन दिये जाने की बात संविधान में वर्णित है और चौदह वर्षों से अधिक समय से सरकारी प्रावधानों के तहत बहाल और नियमित शिक्षकों की भांति हू-बहू सेवा देनेवाले शिक्षकों का पुरानी सेवाशर्त में समायोजन विधिसंगत है। फिर सरकार क्यों इससे आनाकानी करती आ रही है, यह समझ से परे है।
शिक्षामंत्री के इस कथन कि शिक्षकों को उच्चतम न्यायालय के फैसले को मानना चाहिए की बावत कुशवाहा ने कहा है कि जब पटना उच्च न्यायालय में समान काम समान वेतन का मामला चल रहा था, तो राज्य सरकार के मंत्री ने सदन में आन रिकॉर्ड यह बयान दिया था कि उच्च न्यायालय का जो भी फैसला आयेगा, सरकार उसे मानेगी। फिर फैसले के बाद सरकार उससे क्यों मुकर गयी? सदन में किये गये वादे और उच्च न्यायालय के फैसले को लागू न करनेवाली नियोजित शिक्षक विरोधी सरकार हमें न्यायालय की दुहाई न दे। हम न्यायालय का सम्मान करनेवाले लोग हैं, इसलिए उच्चतम न्यायालय के फैसले पर हम कोई टीका-टिप्पणी नहीं करना चाहते। एक लोकतांत्रिक देश का नागरिक होने के नाते बिहार के नियोजित शिक्षक अपनी जायज माँगों के समर्थन में लोकतांत्रिक तरीके से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे मंत्री को नाराज नहीं होना चाहिए, बल्कि मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर उसा लागू करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। मिश्रा और कुशवाहा ने संयुक्त रूप से यह कहा है कि जिस प्रकार गांधीजी थक-हारकर सत्याग्रह का मार्ग अपनाये थे, ठीक उसी प्रकार नियोजित शिक्षक भी थक-हारकर सत्याग्रह के मार्ग पर चल पड़े हैं।
यदि 30 अगस्त तक नियोजित शिक्षकों की मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के नेतृत्व में राज्यभर के चार लाख नियोजित शिक्षक, शिक्षक दिवस पर सरकार द्वारा आयोजित समारोहों का बहिष्कार करते हुए गांधी मैदान पटना में एकत्र होंगे और मुँह पर काली पट्टी बाँधकर वेदना प्रदर्शन करेंगे। साथ ही समस्त नेतृत्व गांधीजी की मूर्ति के समक्ष एकदिवसीय अनशन कर सत्याग्रह करेंगे।