हरिंदर शर्मा, गोबरहिया दोन्न/बिहार!! पश्चिमी चंपारण का गोबरहिया दोन्न चारो तरफ से जंगल तथा पहाड़ों से घिरा हुआ नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। ऐसे मे हमेशा नक्सलियों का खतरा बना रहता है। वहाँ का पुलिस भवन इतनी जर्जर हालत में है कि कभी भी हादसे का शिकार हो सकता है। क्षेत्र कि रक्षा तो पुलिस वाले नक्सलियों से कर लेते किन्तु अगर उन्हे मूलभूत सुविधा ही हासिल नहीं होगी तो ऐसे में पुलिस वाले क्या करें। दिल्ली क्राइम व भ्रष्टाचार विरोधी मोर्चा की टीम ने जब थाना परिसर का दौरा कर हालत की पड़ताल करी तो देखा कि भवन बिलकुल जर्जर हालत में है कभी भी बरिश में गिर सकता है। S.H.O. से बात करने पर पता चला कि भवन 2010 में पूर्व राष्ट्रपति के द्वारा भवन का उदघाटन हुआ था और काम भी शुरू हो गया। लेकिन ठेकेदार और अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार करके इसे आधा अधूरा बना कर छोड़ दिया गया। अब यह अधूरा भवन खंडहर में बदल चुका है। हालत ऐसी है कि बरसात के मौसम में पुलिस और अधिकारी प्लास्टिक (बरसाती) ओढ़कर अपना कार्य करते हैं। क्योंकि जर्जर थाने के भवन कि दीवारें और छत बारिश में टपकते हैं। भवन में खिड़की, दरवाजे भी नहीं है। भवन के नाम पर केवल ढांचा खड़ा है वह भी अब खंडहर बन चुका है। अंदाजा लगा सकते हैं कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में इस खंडहर भवन में पुलिस व अधिकारी कैसे समय व्यतीत कर रहे हैं। आला अधिकारी और सरकारें इस ओर से बिलकुल आँख बंद किए बैठी है।
दिल्ली क्राइम व भ्रष्टाचार विरोधी मोर्चा प्रशासन व बिहार और केंद्र सरकार से ये आह्वान करती है कि देश कि सेवा करने वाले जावंज पुलिस वालों को मूल भूत सुविधाओं से बंचित न किया जाए। शीघ्रतम इस समस्या का निदान किया जाए। दिल्ली क्राइम टीम-अनूप कुमार जैसवाल, हरिंदर शर्मा, चंदेश्वर शर्मा व महमूद अलाम और सभी मेम्बर!!