पत्रकार नही है भीड़ का हिस्सा। पत्रकारों के साथ बढ़ती ज्यादती और पुलिस के अनुचित व्यवहार के चलते कई बार पत्रकार आजादी के साथ अपना काम नही कर पाते है। उसी को ध्यान में रखते हुए आँल इण्डिया पत्रकार एकता एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोविन्द कुमार गौरव
ने राज्य सरकारों को चेतावनी देते हुए निर्देश भी दिया है कि पुलिस आदि पत्रकारों के साथ बदसलूकी ना करे।
किसी स्थानह पर हिंसा या बवाल होने की स्थिति में पत्रकारों को उनके काम करने में पुलिस व्यवधान नही पहुँचा सकती। पुलिस जैसे भीड़ को हटाती है वैसा व्यवहार पत्रकारों के साथ नहीं कर सकती। ऐसा होने की स्थिति में बदसलूकी करने वाले पुलिसवालों या अधिकारियों के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया जायेगा। गौरव ने कहा कि जिस तरह कोर्ट में एक अधिवक्ता अपने मुवक्किल का हत्या का केस लड़ता है पर वह हत्यारा नही हो जाता है। उसी प्रकार किसी सावर्जनिक स्थान पर पत्रकार अपना काम करते है पर वे भीड़ का हिस्सा नही होते। इस लिए पत्रकारों को उनके काम से रोकना मीडिया की स्वतंत्रता का हनन करना है।
सभी राज्यों को दिए निर्देश…
आँल इण्डिया पत्रकार एकता एसोसिएशन ने देश के केबिनेट सचिव, गृह सचिव, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिवों व गृह सचिवों को इस सम्बन्ध में निर्देश भेजा है। स्पष्ट कहा गया है कि पत्रकारों के साथ पुलिस या अर्द्ध सैनिक बलों की हिंसा सहन नही की जायेगी। सरकारें ये सुनिश्चित करे की पत्रकारों के साथ ऐसी कोई कार्यवाही न हो। पुलिस की पत्रकारों के साथ की गयी हिंसा मीडिया की स्वतन्त्रता के अधिकार का हनन माना जायेगा जो उसे संविधान की धारा 19 (1a) में दी गयी है। और इस संविधान की धारा के तहत बदसलूकी करने वाले पुलिसकर्मी या अधिकारी पर आपराधिक मामला दर्ज होगा।
-अनुराग चौधरी