संवाददाता-पुष्कर सिंह!! नहटौर क्षेत्र में यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। प्राइवेट बसें हो या तिपहिया वाहन बिना किसी रोक टोक के वाहन चालक सवारियों को वाहन में न सिर्फ ठूस ठूसकर बैठा रहे। इतना ही नहीं यात्रियों को पायदान व वाहन पर लटका कर गंतव्य तक ले जा रहे है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि इन वाहनों पर लटक कर सफर करने वालों में सबसे ज्यादा संख्या स्कूल और काॅलेज में पढ़ने वाले बच्चों की है, जो बिना किसी डर के बसों, थ्री व्हीलरों और टैम्पों पर लटक कर रोजाना आते जाते है। ऐसे में कब वह हादसे के शिकार हो जाऐं कुछ नहीं कहा जा सकता है।
नूरपुर मार्ग पर चलने वाली थ्री व्हीलर चालक मौ0 फैजान का कहना है कि वह छात्रों को इस तरह वाहन पर लटक कर सफर करने को मना करता है तो उसके साथ छात्रों का गुट मारपीट करने पर उतारू हो जाता है। उसका कहना है कि छात्र वैसे भी पूरा किराया नहीं देते है। ऐसे में अगर उन्हें सीट पर बैठाकर उनके गंतव्य तक पहुंचाये तो हमारे ईंधन का खर्च भी नहीं निकल पाता। कुछ इसी तरह की पीड़ा प्राइवेट बस चलाने वाले की है उसका कहना है कि कुछ दिन पहले ही उसने कुछ छात्रों से किराया मांग लिया तो उन्होने एक सुनसान स्थान पर वाहन को रूकवाकर उसके साथ जमकर मारपीट की और धमकी देते हुए फरार हो गये। स्कूली बच्चों का यूं लटक कर वाहनों पर सफल करना शायद ही किसी को अच्छा लगता हो। राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शैख शकील का कहना है कि बच्चों का वाहन की छतों व पायदानों पर लटक कर चलना पूरी तरह जानलेवा है। ऐसे में बच्चों को स्कूल प्रशासन के साथ साथ अभिभावकों को भी अपने बच्चों पर नजर रखने की जरूरत है कि वह किस तरह स्कूल जाते है। स्कूलों में उन्हें पूरी तरह सख्त हिदायत दी जाये कि वह वाहनों पर लटक कर कतई सफर न करें, क्योंकि इससे उनकी जान भी जा सकती है।