ओमप्रकाश बांगङवा/जालौर!! सांचोर और चितलवाना उपखण्ड के किसान उस समय फूले नही समा रहे थे,जब दस साल पहले गुजरात के रास्ते राजस्थान के जालौर जिले की सांचौर तहसील में नर्मदा नहर का पानी पहुंचा। लेकिन अब इसी पानी को पाने के लिये किसानों को धरना प्रदर्शन करना पङ रहा है,इससे सूबे की कमजोर राजनीतिकरण व्यवस्था कहे या फिर अफसरो की लाल फिताशाही जो किसानों पर भारी पङ रही है। किसानो ने यह उम्मीद लगाकर अपने खेत सिंचाई के लिये तैयार कर लिये थे कि इस बार हमे सुव्यवस्थिते ढंग से नहरी पानी उपलब्ध होगा लेकिन सियालू सीजन का एक महीना बीत जाने के बावजूद सिंचाई के लिये पानी नसीब नही हो पाया है। इसको लेकर आये दिन नर्मदा नहर परियोजना के अधिकारियों और क्षेत्रीय विधायक एवम वन पर्यावरण मन्त्री से पानी की सुचारू मांग करते आ रहे है,लेकिन नर्मदा नहर परियोजना का सिस्टम सही नही होने से किसान दस साल बित जाने के बाद भी पानी को तरस रहे है। राज्य सरकार ने करोङो रूपये खर्च करके नर्मदा नहर परियोजना का निर्माण करवाया लेकिन परियोजना मे व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण विभिन्न वितरिकाओ,माइनरो और सब माइनरो का निर्माण सही ढंग से नही किया गया, उसकी वजह से गुजरात से आने वाला नर्मदा नहर का ओवरफ्लो पानी लूणी नदी के माध्यम से कच्छ के रण मे छोङा जा रहा है, जबकि दूसरी और नहर की वितरिकाएं पानी के लिए तरस रही है। अगर नहर का निर्माण कार्य सही ढंग से किया जाता तो आज क्षेत्र के सभी किसानों को सुव्यवस्थित ढंग से पानी का संचालन होता।