प्रतीकात्मकनिर्मली सुपौल :- अद्भुत महिमा और भक्तों द्वारा सच्चे मन से मांगी गई हर कामना की पूर्ति करने में विख्यात है प्रखंड कार्यालय स्थित बेलही चौक पर बनी मां दुर्गा का भव्य मंदिर । जानकारी अनुसार सन 1981 ईस्वी में बेलही गांव के तत्कालीन मुखिया शुभ नारायण मंडल, पूर्व सरपंच बैद्यनाथ साह, शिक्षक स्वर्गीय जगदीश यादव, डॉक्टर राम जी मंडल के नेतृत्व में ग्रामीणों के सहयोग से बेलही चौक पर मां दुर्गा की स्थापना की गई थी। स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा फूस का घर बनाकर पूजा अर्चना शुरू की थी बाद में यह फूस का घर भवन के रूप में परिवर्तित किया गया। वर्तमान में ग्रामीणों के सहयोग से 21 लाख की लागत से नई मंदिर बनाई गई। तब से लेकर आज तक लगातार प्रतिवर्ष धूमधाम से दुर्गा पूजा मनाई जा रही है।
मां दुर्गा के मंदिर में जो लोग सच्ची श्रद्धा व लगन से आते हैं तो उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। 21 लाख रुपए की लागत से बनी इस मंदिर में अलौकिक आकर्षण है। उक्त मंदिर में प्रतिवर्ष माता रानी के पूजनोत्सव से करीब एक माह पहले से ही विधि व्यवस्था एवं मेला का बेहतर ढंग से देखरेख हेतु ग्रामीणों के द्वारा कमेटी का गठन किया जाता है। इस मंदिर में दो तरह के कमिटी बनाई गई है एक कमिटी है स्थाई जिसमें 44 सदस्य के अलावे तीन पदाधिकारी का गठन किया गया है जो मंदिर विकाश से लेकर सभी विधि व्यवस्था की देखरेख करते हैं । जिसका अध्यक्ष पूर्व मुखिया शुभ नारायण मंडल , पूर्व सरपंच बैधनाथ साह और कोषाध्यक्ष के रूप में सेवा निवृत्त शिक्षक जगदीश यादव थे और वरीय सदस्य डॉ0 रामजी मंडल । स्व0 यादव के मरणोपरांत कोषाध्यक्ष के पद पर विजय कुमार यादव को सर्व सम्मति से नियुक्त किया गया है ।
दूसरी कमेटी मेला कार्यकारिणी कमिटी के रूप में बनाई गई है जो प्रति वर्ष ग्रामीणों के द्वारा चयन किया जाता है । दूसरी कमिटी का कार्य मूर्त्ति की स्थापना से लेकर मेला और सांस्कृतिक कार्यक्रमो की जिम्मेदारियों को देखरेख करना ।जिसका अध्यक्ष सत्येन्द्र नारायण मंडल , सचिव संजय कुमार टिंकू और कोषाध्यक्ष मधुसूदन मंडल हैं । स्थायी कमिटी के सदस्यों और ग्रामीणों के द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि इस वर्ष माता रानी कि इस भव्य मंदिर में माँ दुर्गा , माँ लक्ष्मी , माँ सरस्वती और भगवान गणेश की संगमर्मर कि प्रतिमा स्थायी रूप से लगाई जाय।
जिसे इस वर्ष कलश स्थापन से पूर्व ही करीब नौ लाख की लागत से माता रानी , माँ सरस्वती ,माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की संगमर्मर की प्रतिमा राजस्थान के जयपुर शहर से मंगाया गया । लगातार सन 1981 ई0 से उक्त मंदिर के पंडित ख्याति प्राप्त आचार्य श्री विद्याकांत झा के द्वारा राजस्थान से लायी गयी प्रतिमाओं का पूर्ण वैष्णवी पद्धति व वैदिक रीति रिवाज के साथ पांच नदियों का जल जिसमे सिमरिया घाट से लाये गये गंगाजल , कोशी , बलान ,तिलयुगा और बिहुल नदी से लाये गये जल , एक क्विंटल गाय की दूघ , एक मन गाय घी , 11 किलो मधु , एक मन चीनी , एक टीना गाय की दूध से बनी दही से बेलनती की रात्रि में सभी प्रतिमाओं की नहलाकर शुद्ध किया गया और बेलनती के रात्रि में ही वैदिक मंत्रों उच्चारण के साथ सभी प्रतिमाओं को प्राण प्रतिष्ठा दिया गया ।
प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही पूरे क्षेत्र के लोग माता रानी कि दर्शन के लिए उमड़ पड़े और पूरे वातावरण भक्तिमय माहौल से गूँजमय हो उठे ।पुजारी परमेश्वर यादव के द्वारा माता रानी को छप्पन व्यंजनों का भोग लगाया गया । ग्रामीणों के मनोरंजन के लिए मेला कमिटी के द्वारा मेला के साथ साथ लोक नाच का भी आयोजन किया गया है ।