दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑनलाइन दवाओं की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगाने का बड़ा फैसला सुनाया है। इस संबंध में कोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश देते हुए कहा कि इंटरनेट के जरिए बेची जा रहीं दवाइयों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया जाए ताकि मरीजों की जान से खिलवाड़ न किया जा सके। मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वीके राव ने केजरीवाल सरकार को निर्देश दिया कि वे जल्द से जल्द इस आदेश को लागू करें। कोर्ट ने यह फैसला दिल्ली के एक डर्मेटॉलजिस्ट जहीर अहमद की पीआईएल की सुनवाई के दौरान दिया। जानकारी के मुताबिक ऑनलाइन दवाओं को बिक्री को लेकर जहीर अहमद ने पीआईएल दायर की थी जिसमें यह दलील दी गई थी कि लाखों दवाइयां इंटरनेट के जरिए बिना किसी नियम-कानून के हर रोज बेची जा रही हैं। इससे मरीज की जान को खतरा है। साथ ही साथ डॉक्टरों के लिए भी बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है।
याचिका के मुताबिक दवाइयों की ऑनलाइन सेल को लेकर सरकार कुछ भी ठोस कदम नहीं उठा रही है। ऑनलाइन दवा-विक्रेता बिना लाइसेंस के दवाइयां बेच रहे हैं। पीआईएल में बताया गया है कि सरकार इस बात से भली-भांति वाकिफ है। याचिकाकर्ता ने यह भी बताने की कोशिश की है कि इतना कुछ तब हो रहा है जब सितंबर में केंद्र सरकार ने ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री के संबंध में नियम का ड्राफ्ट तैयार कर दिया था। इस नियम के आधार पर दवाओं की बिक्री रजिस्टर्ड ई-फॉर्मेसी पोर्टल के जरिए ही की जा सकती है।