आदर्श जैन/बिजनौर!! जिले में पिछले दो वर्षों में ही केवल चार बच्चों की मौत कुपोषण से हुई है। फिलहाल जनपद की स्थिति में काफी सुधार है। पहले लोगों में जागरूकता का अभाव था, लेकिन अब बदलाव देखने को मिल रहा है। चिकित्सकों की मानें तो कुपोषण की तीन श्रेणी होती हैं। केवल तीसरी श्रेणी में ही बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जाता है। इससे पूर्व की दो अवस्थाओं में बच्चे की परवरिश घर पर ही ठीक से की जा सकती है। वर्तमान में जिला अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में 13 बच्चे भर्ती है, जिनका उपचार बाल रोग विशेषज्ञ एवं कुशल डाइटिशियन की देखरेख में चल रहा है