कल्दा पठार क्षेत्र एवं उसके आसपास के बच्चों की शैक्षणिक व्यवस्था हेतु उनके रहने , खाने , पीने एवं देखभाल के लिए बीते कई वर्षों से बालक छात्रावास संचालित है विभागीय उदासीनता एवं स्थानीय कर्मचारियों विशेषकर छात्रावास अधीक्षक की मनमानी के कारण यहां अव्यवस्था एवं भ्रष्टाचार का आलम है इसका संचालन कागजी तौर पर तो विधिवत दिखाई देता है परन्तु सच्चाई कुछ और है छात्रावास में लगभग 70 बच्चों के रहने , खाने – पीने व पढ़ाई की सम्पूर्ण व्यवस्था का निर्धारण शासन के द्वारा किया गया है परन्तु यहां के अधीक्षक की लापरवाही मनमानी पूर्ण रवैया व कर्त्तव्य हीनता के कारण अव्यवस्था और भ्रष्टाचार जोरों पर है छात्रावास में लगभग रोजाना पन्द्रह से बीस बच्चे ही उपस्थित रहते है जबकि खर्च पूरे सत्तर बच्चों का रिकार्ड में डाला जाता है विभागीय उदासीनता व जिला प्रशासन की निष्क्रियता के कारण आज तक इस छात्रावास में कोई भी जिले का आलाअधिकारी जांच करने नही जाता है हर महीने लाखों का खर्च भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है कि बार स्थानीय संवाददाता के द्वारा यहां की अनियमितता एवं भ्रष्टाचार को समाचार पत्रों के माध्यम से प्रशासन तक पहुंचाया गया परन्तु संवेदन हीन जिले की प्रशासनिक व्यवस्था निष्क्रिय साबित हुई जिस कारण से जिले की प्रशासनिक कार्यप्रणाली भी सन्देह के घेरे में लग रही है यहां के स्थानीय लोगों व बच्चों के अभिवावक छात्रावास की अव्यवस्था से बहुत दुःखी व नाराज है लोगों का कहना है कि शायद अब भ्रष्ट प्रशासनिक व्यवस्था से मुक्ति मिल जाये और हमारे बच्चों के शैक्षणिक जीवन के लिए शासन द्वारा दी जा रही सुविधा का लाभ मिल सके नवगठित सरकार के बारे में लोगों का मानना है की जिले की प्रशासनिक व्यवस्था अब सुधरेगी और इस छात्रावास में हुए भारी भ्रष्टाचार , अव्यवस्था एवं अनियमितता की जांच होगी लोगों का यह भी कहना है कि अतिशीघ्र यदि इसकी जांच नही हुई और दोषी व्यक्तियों को कानूनी दण्ड यदि नही मिला तो सैकड़ों लोग जिलामुख्यालय में जाकर धरना प्रदर्शन करेंगे।
-Sushil verman