गैस उपभोगताओं का खेल गैस वितरको की जेबें भर रहें हैं अगर हम गैस गोदाम पर गैस सिलेंडर लेने जाते हैं तो वहाँ भी गैस की कीमत से ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं जैसे अगर 887,या 894 रुपये की कीमत है तो भी 900 रुपये देने पड़ते हैं तो वही
एल०पी०जी० गैस पर मिलने बाली सब्सिडी के रूप में जनमानस के साथ बड़ा ड्रामा किया जा रहा है! जनता की जेब से पैसा लेकर और उसके बचे आधे पैसे को सब्सिडी के रूप में वापसी कर मीडियाँ की सूर्खियाँ बटोरने का काम हो रहा है!
रसोई गैस उपभोगता को गैस खरीद के बाद उसको दी जाने बाली सब्सिडी कोई एहसान नही बल्कि उसी के पैसे को सब्सिडी का नाम देकर बैंक खाते वापस की जा रही है!
आज इक्कीसवी सदी में हमारे देश का नागरिक भले ही जागरूक हो रहा हो परन्तु वह आज भी पूरी तरह भोला भाला और सीधा साधा है! देश की कुल आबादी मे से लगभग सत्तर प्रतिशत आबादी में,
गैस उपभोगताओं में भी लगभग सत्तर प्रतिशत यह अब तक नही समझ सका कि सब्सिडी के रूप में उसके बैंक खाते के माध्यम से मिलने वाला पैसा उसका अपना खुद का वह पैसा है जो उसने गैस खरीद पर दोगुना के रूप में दिया था!
जहाँ एक ओर देश को डिजिटल बनाने के अथक प्रयास जारी है वहीं देश का मीडिल वर्ग बढ़ती महंगाई में सब्सिडी के रूप में अपना ही पैसा देर से वापसी होने पर आर्थिक तौर पर कमजोर होता नज़र आ रहा है! उधर दूसरी ओर रसोई गैस गोदाम से निकल कर बितरण करने को नगर में आने बाली गाड़ियाँ सबसे गैस चोरी कराने कालाबाजारियों के घरो पर पहुंचती है और वहाँ सिलेन्डरो से गैस निकाल कर उपभोगता के साथ घट तौली कर पूरी तरह मजाक उड़ाने की होढ़ लगाये बैठे!
सूत्रो की माने तो रसोई गैस उपभोगता चौतरफा मार झेल रहे हैं! एक सब्सिडी वापस मिलने के नाम पर डबल गैस के दाम प्लस होम डिलिवेरी पर बीस से पचास रूपये और ऊपर से सिलेन्डर लगभग दो किलोग्राम तक कम और लाईन लगा कर अभ्रदता का शिकार होना आम बात हो गई है!