यह तस्वीर डिजिटल इंडिया के दौर की है जहां गाय के लिए एम्ब्युलेन्स है किन्तु इंसान के शव को 4 कंधे भी नसीब नहीं हैं. भीड़तंत्र किसी की जान ले तो सकता है लेकिन किसी के शव को कंधे नही दे सकता आखिर कहा मर गयी है हमारी मानवता?? हम किस ओर जा रहे हैं?अगर यही तरक्की है तो क्या फायदा इस तरक्की का.
मानवता को शर्मसार करने वाली यह घटना मामला ओडिशा के बौद्ध जिले की है जहा एक व्यक्ति को अपनी साली का शव अंत्येष्टि के लिए साइकिल पर ले जाना पड़ा. ऐसा कहा जा रहा है कि कोई भी उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया, जिसके चलते वह ऐसा करने के लिए मजबूर हो गया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि यह घटना जिले के कृष्णपाली गांव में हुई, जहां 60 साल के चतुरभुजा बांका को अपनी साली पंचा महाकुड (40) के शव को अपनी साइकिल से बांधकर श्मशान घाट तक ले जाना पड़ा.उन्होंने कहा कि बांका की पत्नी और साली को डायरिया होने पर बौद्ध के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
हालांकि, अधिकारियों ने इन आरोपों से इंकार किया है. गौरतलब है कि यह कोई ऐसी पहली घटना नहीं है. देश के कई हिस्सों में गरीबी या किसी अन्य भेदभाव की वजह से कई लोगों को शवों को तरह-तरह से ले जाते देखा गया है.