शिवम शर्मा, शाहजहांपुर/उत्तर प्रदेश!! मुमुक्षु आश्रम के संस्थापक स्वामी शुकदेवानंद सरस्वती के निर्वाण दिवस के अवसर पर श्रद्घांजलि समारोह और भंडारे का आयोजन किया गया। परिसर में स्थित मूर्तियों को दूध, दही और शहद से स्नान कराया। वक्ताओं ने स्वामी शुकदेवानंद के बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया।
सोमवार सुबह दस बजे स्वामी शुकदेवानंद स्मृति सभागार में संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य डा.हरिनाथ झा, डा.सतेन्द्र पाठक और डा. आदेश पांडेय ने मंगलाचरण व गीता पाठ किया। छात्रों ने गुरु वंदना प्रस्तुत की। इस मौके पर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने स्वामी शुकदेवानन्द के सम्पूर्ण जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि शुकदेवानन्द सरस्वती का मन व्यवसाय में न लगकर आध्यात्मिक चिन्तन और समाजसेवा में लगता था। उन्होंने युवावस्था में ही स्वामी एकरसानंद सरस्वती से दीक्षा ली और सन्यास ग्रहण कर लिया। अपने गुरु के आदेश पर धर्म की रक्षा और प्रचार प्रसार के लिए वह भ्रमण पर निकल पड़े। कई शहरों में घूमते हुए शाहजहांपुर आकर रूके। यहां की तत्कालीन शैक्षिक और सामाजिक स्थिति से व्यथित होकर शहर को कर्मभूमि बनाना निश्चित किया और मुमुक्षु आश्रम की स्थापना की। इंटर कॉलेज और 1964 में डिग्री कॉलेज खोला गया। उनके द्वारा लगाया शिक्षा का पौधा वट वृक्ष बन चुका है। प्रधानाचार्य डा.नरेंद्र शर्मा, प्राचार्य डा.संजय बरनवाल, डा.अनुराग अग्रवाल, डा.कविता भटनागर, डा.प्रतिभा सक्सेना, महातम सिंह, आरती गुप्ता, अंजली मिश्रा व श्यामवीर मौजूद रहे।