इंडिया गेट पर फोटो खींचकर अपनी रोजी-रोटी कमाने वाले रघुवीर अपना और अपने परिवार का पेट भरने के तलाश में 12 साल साल पहले कर्नाटक से दिल्ली आए थे. परिवार में 6 लोग थे, और शिक्षा और कौशल इतना नहीं कि अपने लिए कोई बेहतरीन कमाई देने वाली नौकरी ढूंढ़ लें. नौकरी की तलाश में दिल्ली घूमते-देखते, इंडिया गेट पर आए पर्यटकों को हंसते हुए तस्वीर खिंचवाते हुए देखा तो यही काम करने की सोची.
रघुवीर ने बताया, “ये काम हमारे मन को लुभाया और जिसमें डिग्री की भी ज़रूरत नहीं थी. हमें कैमरा भी नहीं पकड़ना आता था पर अपने मालिक से फ़ोटो खींचने की तकनीक सीखी और आज हम एक लाख के कैमरे से बिना छुट्टी के 12 साल से लोगों की खुशी का हिस्सा बन रहे हैं.”
इंसान जब से टेक्नोलॉजी से सशक्त हुआ है तबसे बाकी दुनिया के बारे में भूल सा गया है. दिल्ली दर्शन करने वाले लोग सबसे पहले इंडिया गेट देखने निकलते हैं. जिस ज़माने में HD क्वालिटी फ़ोटो देने वाला स्मार्ट फ़ोन हर किसी की जेब में नही होता था, तब वहां खड़े फोटोग्राफर से फ़ोटो खिंचवाने के लिए लोगों की लंबी लाइन लगती थी. हर किसी की जेब में स्मार्ट फ़ोन से हर कोई अपने को फोटोग्राफर समझने लगा है. पर क्या कोई अंतर नहीं एक डिजिटल फ़ोटो और पेपर पर उतरे उस चित्र में?