बाल यौन शोषण समाज की सबसे गम्भीर समस्या बनती जा रही हैं। बाल यौन शोषण की समस्या विकराल रूप ले चुकी हैं।। यह केवल प्रदेशों में नहीं बल्कि पूरे देश में भी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। कहते हैं कि समाज में व्याप्त हर बुराई के पीछे का कारण शिक्षा का अभाव होता है, लेकिन पुराने जमाने से अब तक शिक्षा का स्तर बढ़ा है, लेकिन उसके साथ ही इस बाल यौन-शोषण ने भी अपने पैर तेजी से फैलाएं हैं, यह आधुनिक समाज की अति गंभीर बीमारी हैं, जिसकी गिरफ्त में मासूमों की खुशियां, उनकी सुरक्षा हैं। बचपन ईश्वर का दिया हुआ वह उपहार हैं, जो मासूमियत और प्रेम से बँधा होता है! देह से लेकर भावों तक सब कुछ कोमलता लिए हुए होता है! गीली मिट्टी सा बचपन जिस साँचे में ढालों ढल जाता है! लेकिन इस मासूमियत पर कभी-कभी मानवी विकारों का सांया मंडराने लगता है, जिसे हम यौन शोषण कहते हैं। अपने नन्हे को सुरक्षित रखने के लिए माता – पिता को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है! यौन शोषण के मामलो में कुछ तो ऎसे भी होते हैं, जिनके बारें में किसी को कुछ पता भी नहीं होता! इस तरह की घटनाओं से बच्चों का न केवल शरीरिक शोषण होता है, बल्कि मानसिक तौर पर भी वे बड़ी और कठिन लड़ाई लड़ रहे होते हैं!
देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में राजस्थान भले ही कुछ अच्छी स्थिति में आ रहा है, लेकिन दुष्कर्म के मामले में हालात गंभीर होते जा रहे हैं! आकड़ों के अनुसार दुष्कर्म के मामले में गौर करें तो अलवर सहित कई जिले हैं, जिनमें दुष्कर्म से पीड़ित मासूम बच्चियों की चीख सामने आ रही है लेकिन दरिंदों की संख्या में कमी नहीं आ रही हैं। अगर प्रताड़ना के मामलें जल्द ही सुलझ सकें तो सुशासन तभी आ पाएगा।लेकिन कानून बदलने और फांसी की सजा पर जोर देने के बावजूद भी दुष्कर्म के बढ़ते मामलों में कमी नहीं आई हैं। अब सरकार और प्रशासन के सामने चुनौती है कि वो सख्त कानून का खौफ अपराधियों में पैदा करें! जिससे बेटियाँ घर के आंगन में मुस्कुराती नजर आएंगी और खौफनाक दरिंदों के अपराधों पर फुल-स्टॉप लगेगा।
-प्रवेश गौड़
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